Corona New Research: कोरोना के कण बिना हवा चले भी 13 फीट तक जा सकते हैं

Corona New Research: कोरोना के कण बिना हवा चले भी 13 फीट तक जा सकते हैं

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस (Coronavirus) से बढ़ते संक्रमित मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस बीच दुनियाभर के मेडिकल एक्सपर्ट इससे बचने के लिए कई तरीके की सलाह दे रहे हैं। जैसे मास्क पहनें, हैंड सैनिटाइजर और बेहद जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग के लिए 6 फीट का दायरा मेंटेन करें। लेकिन हाल ही के शोध (Research) में चौंकानेवाले परिणाम सामने आए हैं। भारतीय और अमेरिकी शोधकर्ताओं की टीम का कहना है कि कोरोना के कण बिना हवा चले भी 8 से 13 फीट तक की दूरी तय कर सकते हैं।

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शोधकर्ताओं के अनुसार, 29 डिग्री के तापमान और 50 फीसदी नमी होने पर कोविड-19 के कण भाप बनकर हवा में घुल भी सकते हैं। यह रिसर्च (Reserch) बेंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, कनाडा की ऑन्टेरियो यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर की है। शोधकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि हवा में मौजूद वायरस के कणों का संक्रमण फैलाने में कितना रोल है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना (Corona) से बचाव के लिए सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग ही काफी नहीं है क्योंकि संक्रमण फैलाने वाले वायरस के कण बिना हवा के 13 फीट तक जा सकते हैं।

फिजिक्स ऑफ फ्लुड जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, टीम में कोरोना (Corona) के कणों को फैलने, वाष्पित होने और हवा में इनकी गति को समझने के लिए मेथेमेटिकल मॉडल विकसित किया।

शोधकर्ताओं ने संक्रमित और स्वस्थ इंसान के मुंह से निकले ड्रॉप्लेट्स पर रिसर्च की। इनमें कितनी समानता है, इसका पता लगाया गया। रिसर्च में सामने आया एक बार खांसने से 3 हजार ड्रॉप्लेट्स निकले और जो अलग-अलग दिशा में बिखर गए। वहीं, एक बार छींकने पर 40 हजार ड्रॉप्लेट्स निकले।

इस पर टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डॉ. श्वेतप्रोवो चौधरी का कहना है कि ऐसी स्थिति में अगर हवा चलती है या दबाव बनता है तो हालात और बिगड़ सकते हैं। इन फैलने वाले ड्रॉप्लेट्स का आकार 18 से 50 माइक्रॉन के बीच होता है, जो एक इंसान के बालों से भी बेहद बारीक होता है। ऐसे में यह बात भी साबित होती है कि हम मास्क से इस संक्रमण को रोक सकता हैं।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू के शोधकर्ता डॉ. सप्तऋषि बसु के मुताबिक, रिसर्च का यह मॉडल शत-प्रतिशत यह साबित नहीं करता है कि कोरोना ऐसे फैलता है लेकिन अध्ययन के दौरान यह सामने आया है कि ड्रॉप्लेट्स वाष्पित भी हो सकते हैं और नमीं होने की स्थिति में अधिक सेंसेटिव हो जाते हैं।

 

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